धर्म का मार्ग :
संसार मे आय दिन मानवता के कल्याण की बाते की जाती है, कल्याण शब्द का अर्थ है जिससे जीवन सरल बन सके, कष्टों से छुटकारा हो, मनुष्य की आर्थिक और मानसिक स्थिति मजबूत हो, जिस मार्ग का अनुसरण करके मनुष्य अपने सपने साकार कर सके, और एक अच्छा इंसान बन सके, ""!*
गीता मे मनुस्यो के सारी समस्याओ का हल मौजूद है, गीता मे वर्णित हर श्लोक मनुष्य को मानवता को नई राह पर ले जाता है ओर उसके अंदर की बुरी मानसिकता को नस्ट कर देता है,,,
त्रिभिर्गुणमयैर्भावैरेभिः सर्वमिदं जगत्।
मोहितं नाभिजानाति मामेभ्यः परमव्ययम्॥
इस श्लोक के अनुसरण मनुष्य केवल तीन तरह के गुणों को धारण कर सकते है जो सात्विक, राजसिक ओर तामसिक कहलाते है, जो जैसे गुण अपनाते है उन्हें वैसा ही फल प्राप्त होता है, और इन तीन गुणों के अलावा मनुष्य दूसरे गुण समझ ही नहीं सकते, परन्तु इसके ऊपर भी एक अविनाशी गुण है जिसे भगवान श्री विष्णु धारण करते है, "!"
सात्विक गुण साधु संत धारण करते है, सात्विकता का मार्ग काफी कठिन होता है, लेकिन सात्विकता ही भगवान को पाने का मार्ग आसान करता है ""
राजसिक गुण राजा, मंत्री धारण करते है, जिनके हर आदेश मे राजाओं की नीति लागु होती है, इनका रहन सहन और खान पण भी राजसिक कहलाता है, ""
और तामसिक गुण दैत्यों के सामान पुरुष धारण करते है जो, अपने रहन सहन मे तमोगुण को अधिकता देते है, ऐसे मनुष्य खाने मे मांस मदिरा का प्रयोग भी करते है !"
संसार मे के साथ दान, यज्ञ, और तप के सामान कोई और पुण्य क्रम नहीं है,............
यज्ञ से इंद्र देव प्रसन्न होते है, जिसके उपरांत वर्षा होती है,और फिर उसी वर्षा से बांध, नहर, जल से सराबोर हो जाते है जिससे किसान अपने फसलों की सिचाई करता है जिससे अन्न की पैदावार होती है और उसी अन्न से संसार का पेट भरता है,
तप वाह प्रकिया है जिसमे आप किसी बड़ी सफलता के लिए निरंतर कही मेहनत करते है, चाहे वह किसी भी दिशा मे हो,
दान संसार का सर्वश्रेष्ट पुण्य माना जाता है, अगर साफ नियत से दान किया जायेगा तो हमारे पितृ प्रसन्न होते है, तथा उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है जिससे उनका आशीर्वाद सदा आप पर बना रहता है करता है !"*
ये कुछ आसान से अर्थ जिन्हे जीवन मे अपनाकर कोई भी मनुष्य अपना कल्याण कर सकता है, |
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