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माता गायत्री की कथा



गायत्री जयंती पर्व मां गायत्री देवी का जन्मोत्सव है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी दिन मां गायत्री का अवतरण हुआ था। शास्त्रों में मां गायत्री को वेद माता के नाम से जाना जाता है। वेदों की उत्पत्ति मां गायत्री से ही हुई है। गायंत्री मंत्र में ही चारों वेदों का सार है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अकेले गायत्री मंत्र में ही चारों वेदों का ज्ञान है। गायत्री जयंती के दिन मां गायत्री का जाप अवश्य करें, 

शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा जी के मुख से गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था। मां गायत्री की कृपा से ब्रह्माजी ने गायत्री मंत्र की व्याख्या अपने चारों मुखों से चार वेदों के रूप में की थी। आरम्भ में मां गायत्री की महिमा सिर्फ देवताओं तक ही थी, लेकिन महर्षि विश्वामित्र ने कठोर तपस्या कर मां की महिमा अर्थात् गायत्री मंत्र को जन-जन तक पहुंचाया था।

एक प्रसंग के अनुसार एक बार ब्रह्माजी ने यज्ञ का आयोजन किया। परंपरा के अनुसार यज्ञ में ब्रह्माजी को पत्नी सहित ही यज्ञ वैठना था, लेकिन किसी कारणवश ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री को आने में देर हो गई। यज्ञ का मुहूर्त निकला जा रहा था, इसलिए ब्रह्मा जी ने वहां मौजूद देवी गायत्री से विवाह कर लिया और उन्हें अपनी पत्नी का स्थान देकर यज्ञ प्रारम्भ कर दिया।

गायत्री मंत्र
ॐ भूर् भुवः स्वः
तत् सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्।।

गायत्री मंत्र के लाभ
जो भक्त गायत्री मंत्र का नियमित जाप करता है। उसके अंदर आध्यात्मिक शक्ति जागृत होती हैं।
इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को धन लाभ और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। 
मंत्र जाप से मां गायत्री का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
छात्र/छात्राओं के लिए यह बेहद उपयोगी मंत्र है। उनके ज्ञान में वृद्धि होती है। 
शत्रु के भय से भी यह मंत्र मुक्त करता है।

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