भगवान शिव चालीसा :
हिन्दू धर्म के अनुसार आनंद की अनुभूति दिलाने वाले भगवान भोलेनाथ का शिव चालीसा पढ़ने का अलग ही महत्व है। शिव चालीसा के माध्यम से अपने सारे दुखों को भूला कर शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं। अत: खास अवसरों पर इसका पाठ अवश्य करना चाहिए। आइए पढ़ें...
।।दोहा।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तभी पुरारी ||
एक कमल प्रभु राखी जोई | कमल नयन पूजन चंह सोइ ||
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर |भाई पैसे दिए इच्छित वर ||
जय जय जय अनंत अविनाशी | करत कृपा सब के घट वासी ||
दुष्ट शक्ल नित मूवी सतावे |भ्रमित रहो मोहित चैन ना आवे ||
त्राहि-त्राहि में नाथ पुकारो | यही अवसर आन उबारों ||
माता पिता भ्राता सब होई | संकट में पूछा नहीं कोई ||
स्वामी एक है आज तुम्हारी | आए हरु मम संकट भारी ||
धन निर्धन को उदित सदा ही | जो कोई राजस्व फल पाए
अस्तुति केही विधि करे तुम्हारी | शंभू नाथ अचूक हमारी ||
शंकर हो संकट के नासन | मंगल करण विघ्न विनाशक ||
योगी अति मुनि ध्यान लगावे | नारद नारद शीश नवावे ||
नमो नमो जय नमः शिवाय | श्री ब्रह्मा अधिक पाठ न पाए ||
जो यह पाठ करें मन लाई | ता पर होत है शंभू सहाई ||
ऋणीयों जो कोई हो अधिकारी | पाठ करें तो पावन हारी ||
पुत्र होन कर इच्छा जोई | निश्चित शिवप्रसाद से होई ||
पंडित त्रयोदशी को लावे | ध्यान पूर्वक होम करावे ||
त्रयोदशी व्रत करें हमेशा | ताके तन नहीं रहे कलेशा ||
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे | शंकर समूह पाठ सुनावे ||
जन्म जन्म के पाप नसावे | अनंत धाम शिवपुर में पावे ||
कहीं अयोध्या दास आस तुम्हारी | जानी शक्ल दुखहरहु हमारी ||
|| दोहा ||
निक नेम कर प्रातः ही पाठ करें चालीसा | तुम मेरी मनोकामना पूर्ण करो जगदीश ||
मकसद छठी हेमंत ऋतु सावंत चौसठ जान | अस्तुति चालीसा सिरोही पूर्ण की कल्याण ||
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